Friday, 11 September 2020

सोमनाथ मंदिर से कंगना रनौत की उद्धव ठाकरे को चुनौती, इस तरह समझाई खात्मे की तस्वीर



 बॉलीवुड अभिनेत्री और हाल ही में बॉलीवुड में ड्रग कनेक्शन को लेकर खुलासे करने वाली कंगना रनौत ने अब एक बार फिर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को सोमनाथ मंदिर के बहाने उसके क्रूर अंत के बारे में समझाने का काम किया है।
कंगना राणावत ने ट्विटर पर ट्वीट करते हुए सोमनाथ मंदिर की पूजा अर्चना करती हुई खुद की फोटो अपलोड अपलोड की है। उद्धव ठाकरे को लिखा है कि सोमनाथ का मंदिर का इतिहास पढ़ लीजिए चाहे शासक कितना भी शक्तिशाली और क्रूर क्यों न हो, किंतु एक दिन उसका अंत होता है और सत्य की विजय होती है।
उल्लेखनीय है कि इससे पूर्व सोमनाथ में भगवान महादेव का एक भव्य व प्राचीन मंदिर था। उसको सातवीं सदी में वल्लभी के मैत्रक राजा ने दूसरी बार भव्यता से निर्मित करवाया।
किंतु आठवीं सदी में जिंदगी अरबी शासक जुनायद ने इसको नष्ट करवाने के लिए अपनी विशाल सेना भेजी थी, लेकिन गुर्जर प्रतिहार राजा नागभट्ट ने 815 ईसवी में सोमनाथ मंदिर का तीसरी बार उसी भव्यता के साथ निर्माण करवाया।
लेकिन इस भव्य मंदिर को सन 1025 में महमूद गजनवी के द्वारा इस पर अपने 5000 अतितियों के साथ हमला किया और उसको नष्ट कर दिया।
उस वक्त मंदिर के भीतर 50000 लोग पूजा अर्चना कर रहे थे। कहा जाता है कि सभी का कत्ल कर दिया गया था।
इसके बाद गुजरात के राजा भीम और मालवा के राजा भोज ने इसका पुनर्निर्माण करवाया। सन 1297 में जब दिल्ली सल्तनत में गुजरात पर कब्जा किया तो इसे पांचवीं बार तहस-नहस किया गया।
मुगल शासक औरंगजेब ने इसे फिर से 1706 में गिरा दिया। इस समय जो मंदिर खड़ा है, उसे भारत के गृहमंत्री सरदार बल्लभ भाई पटेल ने बनवाया है।
जिसे 1 दिसंबर 1995 को भारत के राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा ने इसको राष्ट्र को समर्पित किया। गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र में बंदरगाह के पास स्थित इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि इसका सबसे पहले खुद चंद्रदेव ने निर्माण करवाया था जिसका उल्लेख ऋग्वेद में भी मिलता है।
सौराष्ट्र का यह भव्य मंदिर हिंदू धर्म के उत्थान पतन और फिर से उत्थान का सबसे बड़ा प्रतीक है। देखने में अत्यंत वैभवशाली होने के कारण इस मंदिर को बार बार तोड़ा गया और विदेशी शासकों के द्वारा यहां से हजारों टन सोना और चांदी लूटने का स्पष्ट उल्लेख इतिहास में भरा पड़ा है।
कंगना रनौत ने पिछले दिनों मुंबई में उनके ऑफिस को तोड़े जाने के बारे में जिक्र करते हुए उद्धव ठाकरे सरकार को समझाने का प्रयास किया है कि चाहे शासक कितना भी क्रूर और अन्यायकारी क्यों न हो, लेकिन एक दिन उसका अंत होता है और सत्य की विजय होती है।