ज्योतिषीय दृष्टि से देखा जाए तो ग्रहण का बड़ा महत्व होता है वहीं वैज्ञानिकों की नजर भी इस खगोलीय घटना पर रहती है। इस बार रविवार 21 जून को सूर्यग्रहण लगने जा रहा है और यह साल का पहला सूर्यग्रहण है जो आषाढ़ की अमावस्या जिसे हलहारिणी अमावस्या कहते हैं, उस दिन लगने जा रहा है। इससे पहले भी इसी महीने यानी 5 जून को चंद्रग्रहण लगा था। ज्योतिषियों की मानें तो यह ग्रहण बहुत दुर्लभ और विशेष महत्व वाला है।
इस ग्रहण के समय जो खगोलीय स्थिति बन रही है, वह 900 साल बाद हो रही है। सूर्य ग्रहण चर्चाओं में है। इसे लेकर अलग-अलग मत हैं, विचार हैं लेकिन सभी इसे दुर्लभ और अत्यंत महत्वपूर्ण घटना बता रहे हैं। यह सूर्यग्रहण वलयाकार सूर्य ग्रहण होगा जिसमें धरती पर सूर्य की रोशनी नहीं पहुंच पाएगी सूर्य के आगे चंद्रमा के आने से सूर्य रिंग ऑफ फायर के रूप में दिखाई देगा। इस दौरान सूर्य अंगुठी की तरह दिखाई देगा। यह ग्रहण बेहद खास रहने वाला है।
21 जून को लगने वाला यह सूर्य ग्रहण सुबह 10 बजकर 15 मिनट से शुरू होकर दोपहर 3 बजकर 04 मिनट पर खत्म हो जाएगा। दोपहर 12 बजकर 12 मिनट पर परम ग्रास रहेगा। यह ग्रहण भारत में दिखाई देने के कारण इसमें सूतक काल मान्य होगा। एक दिन पहले ही 20 जून को सूतक लग जाएगा और इसके साथ ही मंदरों के कपाट बंद हो जाएंगे। ग्रहण भारत में दिखेगा इसीलिए सूतक काल भी मान्य होगा। सूतक ग्रहण के बारह घंटे पहले लग जाता है जो 20 जून शनिवार को रात 9 बजकर 15 मिनट से ही शुरू हो जाएगा जो ग्रहण समाप्ति तक प्रभावी रहेगा। इस बार सूर्य ग्रहण के साथ एक और संयोग है।
यह एक दुर्लभ खगोलीय घटना का निर्माण कर रहा है। यह ग्रहण ऐसे दिन होने जा रहा है जब उसकी किरणें कर्क रेखा पर सीधी पडेंगी। इस दिन उत्तरी गोलार्ध में सबसे बड़ा दिन और सबसे छोटी रात होती है। यह सूर्य ग्रहण साल का पहला सूर्य ग्रहण है जो भारत में दिखाई देगा। भारत के अलावा यह सूर्य ग्रहण पूरे एशिया, अफ्रीका और यूरोप के देशों में दिखाई देगा। वहीं अगर बात करें भारत में तो यह सूर्य ग्रहण उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, राजस्थान और हरियाणा में दिखाई देगा। भारत के कुछ हिस्सों में आंशिक सूर्य ग्रहण तो कुछ हिस्सों में वलयाकार सूर्य ग्रहण देखने को मिलेगा।
ग्रहण तीन तरह का होता है -
1- पूर्ण सूर्य ग्रहण
2-आंशिक सूर्य ग्रहण
3- वलयाकार सूर्य ग्रहण
खगोल शास्त्र के अनुसार जब- जब सूर्य और पृथ्वी के बीच चंद्रमा आ जाता है और चंद्रमा की वजह से सूर्य की रौशनी पृथ्वी पर नहीं आ पाती है, तो इस भौगोलिक घटना को सूर्य ग्रहण कहते हैं।
किन राशियों पर पड़ेगा शुभ प्रभाव : इस ग्रहण का मेष, सिंह, कन्या और मकर के लिए शुभ कारक बताया जा रहा है और अन्य राशियों के लिए ग्रहण कष्टदाई रहेगा।
ग्रहण काल के दौरान करें जाप : ग्रहण के दौरान -
महामृत्युंजय मंत्र के जाप के साथ भगवान शिव और विष्णु के मंत्रों का जाप करना चाहिए। सूतक काल में देवी देवताओं की मूर्तियां न छुएं, सूतक काल से ही गर्भवती महिलाओं को कटाई, सिलाई से बचना चाहिए।