नवरात्रि के पहले दिन जिसे प्रतिपदा भी कहते हैं उस दिन शुभ मुहूर्त में पूरे विधि-विधान से घट स्थापना करनी चाहिए
आमतौर पर हर साल पितृपक्ष के खत्म होने के बाद शारदीय नवरात्रि शुरू हो
जाते हैं। लेकिन 2020 में 17 सितंबर को पितृपक्ष समाप्त हो रहे हैं जबकि
नवरात्रि की पूजा 17 अक्टूबर से होगी। ये एक महीने की देरी अधिक मास के
कारण हो रही है। अधिक मास जिसे पुरुषोत्तम अथवा मल मास भी कहा जाता है, वो
हिंदू पंचाग के अनुसार प्रत्येक 3 साल पर होता है। बता दें कि सूर्य और
चंद्रमा के बीच संतुलन बना रह सके इसलिए अधिक मास होता है। ऐसे में श्राद्ध
पक्ष के ठीक एक महीने बाद यानी 17 अक्टूबर को कलश स्थापना होगी। आइए जानते
हैं इस बार दुर्गा पूजा में कौन से दिन होंगे खास और क्या है इस पर्व का
महत्व –
पहला दिन – 17 अक्टूबर : माता शैलपुत्री की पूजा
दूसरा दिन – 18 अक्टूबर : माता ब्रह्मचारिणी की पूजा
तीसरा दिन – 19 अक्टूबर : देवी चंद्रघंटा की पूजा
चौथा दिन – 20 अक्टूबर : मां कुष्मांडा की पूजा
पांचवां दिन – 21 अक्टूबर : मां स्कंदमाता की पूजा
छठा दिन – 22 अक्टूबर : माता कात्यायनी की पूजा
सातवां दिन – 23 अक्टूबर : मां कालरात्रि पूजा
आठवां दिन – 24 अक्टूबर : देवी महागौरी की पूजा (अष्टमी)
नौंवा दिन – 25 अक्टूबर : मां सिद्धिदात्री की पूजा ( नवमी – नवरात्रि पारण)
दूसरा दिन – 18 अक्टूबर : माता ब्रह्मचारिणी की पूजा
तीसरा दिन – 19 अक्टूबर : देवी चंद्रघंटा की पूजा
चौथा दिन – 20 अक्टूबर : मां कुष्मांडा की पूजा
पांचवां दिन – 21 अक्टूबर : मां स्कंदमाता की पूजा
छठा दिन – 22 अक्टूबर : माता कात्यायनी की पूजा
सातवां दिन – 23 अक्टूबर : मां कालरात्रि पूजा
आठवां दिन – 24 अक्टूबर : देवी महागौरी की पूजा (अष्टमी)
नौंवा दिन – 25 अक्टूबर : मां सिद्धिदात्री की पूजा ( नवमी – नवरात्रि पारण)
दुर्गा पूजा का महत्व: हिंदू धर्म में नवरात्रि का महत्व
बहुत अधिक होता है। चैत्र नवरात्र और शारदीय नवरात्र, वैसे तो दोनों ही
बेहद महत्वपूर्ण हैं। लेकिन शरद नवरात्रि का महत्व अधिक है। जैसा नाम से
प्रतीत होता है, नवरात्रि 9 दिनों तक चलने वाला त्योहार है। हर जगह इस
त्योहार को मनाने का अलग विधान है। अलग – अलग प्रांत, संस्कृति और बोली के
लोग इस अलग-अलग तरीके से मनाते हैं। न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि
सांस्कृतिक तौर पर भी इस पर्व की बहुत ज्यादा अहमियत है। यूं तो पूरे दिन
भक्त मां की पूजा में लीन रहते हैं, पर षष्ठी से पूजा जोर पकड़ती है।
अधिकांश जगह अष्टमी और नवमी को कंजक खिलाए जाते हैं।
क्या होता है कलश स्थापना: नवरात्रि में कलश स्थापना का
विशेष महत्व होता है। इसे घट स्थापना के नाम से भी जाना जाता है। घट
स्थापना को देवी शक्ति का आह्वान यानी पूजा की शुरुआत मानी जाती है। कहते
हैं कि कलश स्थापना सही समय पर करने से ही इसका फल मिलता है। रात्रि में
अथवा अमावस्या के दिन कलश स्थापना से मां कुपित हो उठती हैं। बता दें कि घट
स्थापना के लिए अभिजित मुहूर्त को सबसे शुभ माना जाता है।
कलश स्थापना मुहूर्त:
17 अक्टूबर 2020, शनिवार – सुबह 6 बजकर 23 मिनट से लेकर 10 बजकर 11 मिनट तक
कुल अवधि – 3 घंटे 48 मिनट
17 अक्टूबर 2020, शनिवार – सुबह 6 बजकर 23 मिनट से लेकर 10 बजकर 11 मिनट तक
कुल अवधि – 3 घंटे 48 मिनट